सब जग अधुरा, एक तेरा नाम पूरा
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
सब कुछ है तुझसे, तुही सब रंगों में
तूही हर श्रण में , तूही हर कण में
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
तू रूप , तू स्वरुप , तू ज्ञान , तू शक्ति
तू सागर , तू आकाश, तू पृथ्वी, तू दाता
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
तू खाए माखन , तू खेले होली
तू नाचे सब संग, तू इक गावाला
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
तुझसे हैं रोशन दिन के उजाले
तूही देने वाला तूही लेने वाला
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
तेरा नाम ले ले तारती ये दुनिया
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
सब जग अधुरा, एक तेरा नाम पूरा
कान्हा ओ कान्हा, कान्हा ओ कान्हा
Raadhe -Raadhe
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ReplyDeletebahut achhi kavita hai
ReplyDeleteक्या बात करती हो मैडम कान्हा का नाम कैसे पूरा हो सकता है कान्हा में न आधा है ,कृष्ण में भी बीच का अक्षर आधा है ,कन्हैया में भी .....बचपन से लेकर मृत्यु तक कृष्ण के चरित्र ka कोई भी अंश ऐसा नहीं जो अनुसरणीय हो कपटी.लम्पट चरित्रहीन .......क्या क्या दोष नहीं है इस चरित्र में ऐसे चरित्र को भगवान् कहना मुर्खता hi है ......
ReplyDeletekabira jee, aisi hee bat aap sikh, muslim ya isai dharm ke bare me kahane kee himmat kar sakate hain. aap ko kisi ke pujaniy ke bare me aisa kuchh kahane ka adhikar kisane diya. dosh aapki aankhon me or aapke sansakr me hai. narayan narayan
ReplyDeleteपान्चजन्य में फिर स्वर फूँको
ReplyDeleteकहो पार्थ से अरे न चूको।।
गीता की फूँको तरूणाई।
कब आओगे ? कृष्ण कन्हाई।।8।।
सुन्दर। शुभकामनाएँ।
ReplyDeletekripayaa word verification ko hataa dijiye..
anaavashyak samauy nasht hotaa hai usame..
Very nice bhajan Mamta, You should try to compose music on it
ReplyDeleterampyari