Tuesday, November 17, 2009

मेरे सपने गुनागुनाओ उनहें थोड़ा तो हँसाओ

मेरे सपने गुनागुनाओ
उनहें थोड़ा तो हँसाओ

थोड़े से हेरान हैं
थोड़े अनजान हैं
थोड़े से शेतान हैं
थोड़े नादान हैं

बिन पूछे आते हैं
फिर जाना भूल जाते हैं

सोते भी नहीं हैं
खाते भी नहीं हैं
हस्ते भी नहीं हैं
रोते भी नहीं हैं

उड़ते हैं पानी में
आसमान में चलते हैं

मेरे सपने गुद्गुदाओ/गुनागुनाओ
उनहें थोड़ा तो हँसाओ

बंद कर लू मुढ़ी में
या समुंदर के नीचे ले दबाऊं

या फिर राम के बाण
के आगे उन्हें लगाऊ
और आसमान के मस्तक से भी दूर
उन्हें ले जाऊं

मेरे सपने गुद्गुदाओ/गुनागुनाओ

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